Ananya Pandey

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सुनो किशन -16-Feb-2022

सुनो किशन

सुनो किशन,
हमें पता था,
तू मुझें एक दिन छलेगा,
इंतज़ार और विरह के बीच,
एक दिन पिस जाऊंगी,

बोलो किशन,
मैं सब कुछ जानते हुये भी,
क्यों छली जा रही हूँ,
मेरी भावनाओं की  क्षत-विक्षत लाशें,
बिखर पड़ी है,
प्रेम करना अपराध है,
उपहास!!!!
 हाँ तूने मेरा जग में उपहास कराया,
अब उलाहना के अधिकार भी छीन लोगे,
इतना लंबा इंतज़ार,
इतनी दूरिया,
आखिर किसके लिये?
लोक, समाज, के बंधनों में बांधकर,
उलझाकर मेरा अंतर,
तड़पाने का अधिकार,
तुमको किसने दिया?
मेरे मन को समझने का दावा करते थे,
खुद के मन में झाक़ कर कभी देख पाये,
मेरे अंदर की पीड़ा,
आँसूओ की धारा,
बताओ ना सच यही है,

माखनचोर,
जो तुमने कहाँ था,
या जो मैं देख रही हूँ,
तुम बदल रहे हो,

केशव,
मैं जानती हूँ,
तुम मेरे हो,
मेरे रोम-रोम से परिचित हो,
लेकिन आज यें दुःख,
मुझें पीड़ा दे रहा है,

माधव,
तुम मेरे अंतर मन को कब समझोगे,
कब कहोगे की,
"तुम" और  "मैं" "हम" है।

प्रिया पाण्डेय "रोशनी"

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2 Comments

Ekta shrivastava

17-Feb-2022 12:52 PM

Beautiful

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Abhinav ji

17-Feb-2022 11:06 AM

Very nice

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